नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को एक बड़ी घोषणा की कि नक्सलवाद से सबसे अधिक प्रभावित जिलों की संख्या 12 से घटकर अब केवल 6 रह गई है। यह बयान ऐसे समय में आया है जब शाह 4 अप्रैल, 2025 को छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बस्तर क्षेत्र का दौरा करने वाले हैं। यह उपलब्धि भारत सरकार के वामपंथी उग्रवाद (एलडब्ल्यूई) को खत्म करने के प्रयासों में एक महत्वपूर्ण कदम है।
शाह ने इस सफलता का श्रेय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व को दिया। उन्होंने कहा कि सरकार नक्सलवाद के प्रति निर्मम रवैया अपनाते हुए और सर्वांगीण विकास के लिए अथक प्रयास करके एक सशक्त, सुरक्षित और समृद्ध भारत का निर्माण कर रही है। शाह ने यह भी दोहराया कि भारत 31 मार्च, 2026 तक नक्सलवाद को पूरी तरह से जड़ से उखाड़ फेंकने के लिए प्रतिबद्ध है।

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर शाह ने लिखा:
“नक्सल मुक्त भारत के निर्माण की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए आज हमारे देश ने वामपंथी उग्रवाद से सर्वाधिक प्रभावित जिलों की संख्या को 12 से घटाकर मात्र छह करके एक नयी उपलब्धि हासिल की है।”
(ट्वीट यहाँ एम्बेड किया जा सकता है।)
केंद्रीय गृह मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, एलडब्ल्यूई प्रभावित जिले वे हैं जहां नक्सली गतिविधियाँ और हिंसा अभी भी जारी है। इनमें से “सर्वाधिक प्रभावित जिले” की उप-श्रेणी 2015 में शुरू की गई थी। आधिकारिक रिकॉर्ड बताते हैं कि 2015 में ऐसे 35 जिले थे, जो 2018 में 30, 2021 में 25 और अब नवीनतम समीक्षा में केवल 6 रह गए हैं। इसके अलावा, 2021 में “चिंता वाले जिले” नामक एक नई उप-श्रेणी बनाई गई थी, ताकि संभावित जोखिम वाले क्षेत्रों पर नजर रखी जा सके।
शाह का आगामी बस्तर दौरा, जो लंबे समय से नक्सल विद्रोह से प्रभावित रहा है, सुरक्षा और विकास पर सरकार के दोहरे फोकस को दर्शाता है। प्रभावित जिलों की संख्या में कमी स्थानीय समुदायों के लिए आशा की किरण है, जो दशकों से संघर्ष झेलते आए हैं। 2026 की समय सीमा नजदीक आने के साथ, सरकार की बहुआयामी रणनीति प्रभावी साबित हो रही है।
यह प्रगति न केवल राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करती है, बल्कि उन क्षेत्रों के लिए भी उज्जवल भविष्य का संकेत देती है जो कभी हिंसा की छाया में थे। नक्सलवाद से प्रभावित जिलों की घटती संख्या के साथ,