अंधेरे में जीवन बिता रहे ग्रामीणों को अब लालटेन से मिली छुटकारा
महासमुंद जिले के विशेष पिछड़ी जनजाति 77 गांवों के कई बसाहट में, जहां आजादी के बाद से अब तक बिजली नहीं पहुंची थी, प्रधानमंत्री जनमन योजना के अंतर्गत अब रोशनी पहुंच चुकी है। इस अभूतपूर्व विकास से ग्रामीणों में हर्ष की लहर दौड़ गई है। वर्षों से अंधेरे में जीवन बिता रहे इन गांवों के लोगों को अब लालटेन और दीयों से छुटकारा मिल गया है।
प्रधानमंत्री जनमन योजना के पूर्व इन गांवों में शाम होते ही सन्नाटा छा जाता था, बच्चे अपने घरों में दुबक कर लालटेन की झिलमिलाती रोशनी में आंख गड़ाकर पढ़ने को मजबूर थे। आदिवासी विकास विभाग के अनुसार योजना अंतर्गत 77 गांव में से 59 गांव के 330 बसाहटों में बिजली नहीं थी। इनमें महासमुंद विकासखण्ड के 36, बागबाहरा के 22 गांव एवं पिथौरा विकासखण्ड के एक गांव को योजना के तहत शामिल किया गया। शामिल होते विद्युत लगने का कार्य शुरू हुआ और आज पूरा गांव जगमगा रहा है। गलियों में स्ट्रीट लाइट लगी हुई है और घरों में भरपूर रोशनी है। बिजली पहुंचने के बाद ग्रामीणों की जीवनशैली में सकारात्मक बदलाव आया है। जहां पहले सूरज ढलते ही गांवों में अंधेरा छा जाता था, अब वहां गलियों में स्ट्रीट लाइटें जगमगाने लगी हैं। इससे न केवल सुरक्षा व्यवस्था में सुधार हुआ है, बल्कि बच्चों की पढ़ाई पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। बिजली पहुंचने से गांवों में छोटे व्यवसायों को भी बढ़ावा मिलेगा। जहां पहले बांस शिल्प और कृषि से जुड़ी कई गतिविधियां रात में संभव नहीं थीं, अब वे भी सुचारू रूप से चल सकेंगी। ग्रामीण क्षेत्रों में इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का उपयोग बढ़ने से जीवन की गुणवत्ता में भी सुधार होगा।